दर्द


 जब-जब तुम सामने होती हो

मैं होश में क्यों नहीं रहता 

कितना कुछ है बताने को 

फिर मैं ख़ामोश क्यों हूँ रहता।। 


तुम्हें एहसास भी है 

मेरे होने का क्या 

अगर नहीं तो 

फिर कोई बात नहीं ।।


लेकिन अगर तुम्हें पता है 

मेरी भावनाओं का तो 

फिर इस नाउम्मीदी का सिलसिला 

का राज क्या है ।।


सच कहूं तो बहुत दर्द होता है 

जब कोई आप से 

जुदा-जुदा होता है।। 


आप चाहते हैं कि 

सिमट कर वो आएँ 

आपके पास 

और वह जान बूझकर 

दूर होता है ।।


मुमकिन है यह समीकरण 

एक दिन सरल होगा 

हमारी रिश्तों के बीच में भी 

कुछ अटल होगा ।।


बदलाव सास्वत और सत्य हैं 

एक नई शुरुआत का पहल होगा 

उस मुक़ाम पर हम भी होंगे 

जब आपका ध्यान हम पर बरबस होगा।।


वक़्त है बदल जाता है 

जो मुमकिन नहीं दिखता 

वह भी हो जाता है।।


@ अजय 

ajaysingh

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