रूठना

रूठी हो 
अच्छा है
रातों का जगना
मोबाइल को तकना
खुद मैं रहना
औरों से कटना
बिना वजह हँसना
मन का विचलन
तन का सिहरन
चाय के चुस्की
अंदर की मस्ती
रूठी हो
अच्छा हैं।।।

-अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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