बारिश
न जाने क्यों सुबह से ही
बादल बरस रहे हैं
एक हम हैं जो ना जाने
किस बात को लेकर
उलझ रहे हैं।।
यह दुखों की जो वेदना है
खालीपन का जो एहसास है
दुनिया के साथ बारिश में
भीगने नहीं देती ।।
सब तो भीग चुके है
छोड़ मुझको, पता नहीं
पानी का एक कतरा
मुझ तक पहुँचा नहीं।।
दुख और सुख एहसास हैं
जो बदलते रहते हैं
आज मन उलझा है
शायद कल ना रहे ।।
@अजय कुमार सिंह
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