दिल्ली की ठंड


पहले बीड़ी जलाई ले जिगर से पिया
फिर दमा-दम मस्त कलंदर
उसके बाद जिया ए बिहार के लाला
तमाम जोशिले गाने सुन डाले
पर मजाल है ठंडा का असर जाए।।
जब ठंडी पानी से मुठभेड़ होता है
तो ओम भूर भुवा स्वाहा
और हनुमान चालीसा ही
मुँह से निकलता है।।
आस्था और विचलन का
गहरा नाता है
इंसान जब खुश होता है तो
यार-दोस्त और पार्टी नज़र आता है।।
जब गमगीन होता है तो
भगवान, धर्म और आस्था की
शरण में जाता है
यह सामान्य है।।
यह इसलिए होता है
क्योंकि इंसान खुद से
भगवान, धर्म और आस्था को
बड़ा मानत है।।
पर ऐसा नहीं है की
भगवान, धर्म और आस्था की
नज़र से इंसान छोटा है
इंसान ही खुद को कम मानता है।।
अगर देखे तो बड़ा और छोटा
विशुद्ध रूप से इंसानी दिमाग
और मन की ही उपज है
न भगवान भक्त से अलग है
न भक्त भगवान से अलग है।।
यही योग है
यही माया है
यही भ्रम है
यही ब्रह्मांड है।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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