मन




अपने मन का मालिक हूं
अपनी मन की सुनता हूं
जो मन आता है वही करता हूं
जब मन नहीं करता
तो नहीं करता हूं।।
दुनिया क्या सोचेगी
दुनिया क्या कहेगी
यह बातें मन की करने के बाद
ही सोचता हूं।।
मन का शहंशाह भी हूं
मन का फकीर भी हूं
जब जैसा मूड होता है
वैसा रूप धरता हूं।।
कभी अभिमानी
कभी स्वाभिमानी
कभी आज्ञाकारी बच्चा
बनकर रहता हूं
मैं कुछ और नहीं
बस मन ही हूं।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

cool,calm,good listner,a thinker,a analyst,predictor, orator.

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने