शहर दर शहर
बीतता यह सफर
अंजान राहों की और
बढ़ता जाता है।।
बीतता यह सफर
अंजान राहों की और
बढ़ता जाता है।।
नए चेहरे नए लोग
नई संभनाओं से मिलवाता है
पुराने जख़्म पर
नया मरहम अच्छा है
पर पीछे आंसू छोड़ जाता है।।
नई संभनाओं से मिलवाता है
पुराने जख़्म पर
नया मरहम अच्छा है
पर पीछे आंसू छोड़ जाता है।।
किसे याद करू
किसे भूल जाऊ
नम हो आंखें तो
शब्द अधूरे रह जाते है।।
किसे भूल जाऊ
नम हो आंखें तो
शब्द अधूरे रह जाते है।।
मत पूछ हाल ए दिल का
जैसे-तैसे खुद को संभाला है
नागपुर और रायपुर के बीच
दौड़ती यह रेल
तेरी यादों से भरा है
और बैठा यह अकेला है ।।
जैसे-तैसे खुद को संभाला है
नागपुर और रायपुर के बीच
दौड़ती यह रेल
तेरी यादों से भरा है
और बैठा यह अकेला है ।।
@अजय कुमार सिंह