भाषण

 
धरती-आसमान के बीच 
 एक दुनिया बसती है 
 कुछ लोग रहते हैं 
 कुछ बातें होती है 
 दुनिया-दारी चलती है।।

तंग गलियों के बीच
महलों के सपने पलते हैं
बूढ़ी आंखों में भी
जवानी के सपने सजते हैं।।

छोटे कमरों में भी
जिंदगी हुंकार मारती है
अट्टालिकाओं में भी
विरानिया मिलती है।।

धरती और आसमान के बीच
क्या नहीं होता है
कोई भूखे रहता है
कोई उपवास करता है।।

तय है समय सीमा सबकी
देखो मूर्ख भाषण दे रहा है
परम ज्ञानी आंखें बंद कर
चुप-चाप योग में पड़ा है।।
@अजय

ajaysingh

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