गुलाब नगर-4

 

तुम संभावनाओं से भरी हो
अभी लेना है आकार तुम्हें
मेरे आंगन की तुम रौनक
अभी खिलना है तुम्हें।।

यह तो महज शुरुआत है
करना है विस्तार तुम्हें
खिल कर उभरना है
सब को प्रभावित करना है ।।

वक्त की तलाश हो तुम
समय की पुकार
जिस आंगन में तुम खिलो
कैसे रहेगा वहां अंधकार।।

तुम्हारे तेज के सामने
सूरज भी नतमस्तक है
तुम्हारा कर रहा
चारों दिशा स्वागत है।।

बारिश तुम्हारे लिए
हवा तुम्हारे लिए
मिट्टी की उर्वरा तुम्हारे लिए
सबको तुम्हारा इंतजार है।।
।।अजय।।

ajaysingh

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