तु खुद भाग्यविधाता है
समझ इसको।।
तु खुद स्वंय का निर्माता है
समझ इसको।।
तु खुद बदलने को सशक्त है
समझ इसको।।
तु खुद लक्ष्य भेदने में सक्षम है
समझ इसको।।
तु खुद अपने का गुरू है
समझ इसको।।
तु खुद पथ प्रदर्शक है
समझ इसको।।
तु खुद में सब है
समझ इसको।।
तु खुद रब है
समझ इसको।।
तु खुद क्यों भटका है
समझ इसको।।
तु खुद को ही तलाशता है
समझ इसको।।
तु खुद की ही तलाश है
समझ इसको।।
तु खुद की प्रेरणा है
समझ इसको।।
तु खुद की अभिव्यक्ति है
समझ इसको।।
तु खुद विश्व विजेता है
समझ इसको।।
तु खुद कर्ताधर्ता है
समझ इसको।।
तु खुद रचयिता है
समझ इसको।।
तु खुद को क्यों छलता है
समझ इसको।।
तु खुद का ही शिल्पकार है
समझ इसको।।
तु खुद क्यों सोचता तु बेकार है
समझ इसको।।
तु खुद क्यों सोचता सब अंधकार है
समझ इसको।।
तु खुद की उम्मीद है
समझ इसको।।
तु खुद इंकलाब है
समझ इसको।।
तु खुद जलती मशाल है
समझ इसको।।
तु खुद बैठा है
समझ इसको।।
तु खुद सोया है
समझ इसको।।
तु खुद में क्रांति भी है
समझ इसको।।
तु खुद तपस्वी है
समझ इसको।।
तु खुद निर्माणकर्ता है
समझ इसको।।
तु खुद प्रश्नकर्ता है
समझ इसको।।
तु खुद उत्तरदाता है
समझ इसको।।
तु खुद आज है
समझ इसको।।
तु खुद भविष्य है
समझ इसको।।
तु खुद उर्जा है
समझ इसको।।
तु खुद क्यों बना गुलाम है
समझ इसको।।
तु खुद में कोहराम है
समझ इसको।।
तु खुद रूद्र है
समझ इसको।।
तु खुद साक्षात प्रलय है
समझ इसको।।
तु खुद निराकार है
समझ इसको।।
तु खुद परम ब्रह्म है
समझ इसको।।
तु खुद बहती धारा है
समझ इसको।।
तु खुद क्या नहीं है
समझ इसको।।
तु खुद सृष्टि सकल है
समझ इसको।।
तु खुद आने वाला कल है
समझ इसको।।
तु खुद क्यों शिकार है
समझ इसको।।
तु खुद शिकारी है
समझ इसको।।
तु खुद हरियाली है
समझ इसको।।
तु खुद पत्ता-पत्ता डाली है
समझ इसको।।
तु खुद हाहाकार है
समझ इसको।।
तु खुद खड़ा है
समझ इसको।।
तु खुद मौन है
समझ इसको।।
तु खुद धावक है
समझ इसको।।
तु खुद बलशाली है
समझ इसको।।
तु खुद पुरंदर है
समझ इसको।।
तु खुद योद्धा चिरंजीवी है
समझ इसको।।
तु खुद विजय पताका है
समझ इसको।।
तु खुद क्यों बना परजीवी है
समझ इसको।।
तु खुद लय है
समझ इसको।।
तु खुद ताल है
समझ इसको।।
तु खुद हर सुर की साज है
समझ इसको।।
तु खुद काल है
समझ इसको।।
तु खुद सुदर्शन चक्र है
समझ इसको।।
तु खुद रणनीतिकार है
समझ इसको।।
तु खुद सूबह की अजान है
समझ इसको।।
तु खुद पवित्र कुराण है
समझ इसको।।
तु खुद क्यों हीनता को पाले है
समझ इसको।।
तु खुद क्यों स्वंय को कम आके है
समझ इसको।।
तु खुद दसों अवतार है
समझ इसको।।
तु खुद में विशाल है
समझ इसको।।
तु खुद तारणहार है
समझ इसको।।
तु खुद मसीहा है
समझ इसको।।
तु खुद में भेद है
समझ इसको।।
तु खुद क्यों सोचता गौण है
समझ इसको।।
तु खुद कहां है
समझ इसको।।
तु खुद कौन है
समझ इसको।।
तु खुद सन्नाटा है
समझ इसको।।
तु खुद में शोर है
समझ इसको।।
तु खुद चहुओर है
समझ इसको।।
तु खुद सिमटा है
समझ इसको।।
तु खुद शांत है
समझ इसको।।
तु खुद को परिभाषित करता है
समझ इसको।।
तु खुद परिभाषा गढ़ता है
समझ इसको।।
तु खुद हामी भरता है
समझ इसको।।
तु खुद ना कहने से डरता है
समझ इसको।।
तु खुद क्यों पश्चाताप करता है
समझ इसको।।
तु खुद क्यों बनाता डर है
समझ इसको।।
तु खुद में डर है
समझ इसको।।
तु खुद से क्यों भयभीत है
समझ इसको।।
तु खुद से आंख से आंख क्यों नहीं मिलाता है
समझ इसको।।
तु खुद से क्यों बचता है
समझ इसको।।
तु खुद क्यों बन बैठा लाचार है
समझ इसको।।
तु खुद अपना लिडर है
समझ इसको।।
तु खुद प्रहरी है
समझ इसको।।
तु खुद रक्षक है
समझ इसको।।
तु खुद दुर्दांत आक्रमणकारी है
समझ इसको।।
तु खुद अकेला सब पर भारी है
समझ इसको।।
तु खुद का नियामक है
समझ इसको।।
तु खुद यारों का यार है
समझ इसको।।
तु खुद बहुत होनहार है
समझ इसको।।
तु खुद क्यों झुका है
समझ इसको।।
तु खुद क्यों मायूस है
समझ इसको।।
तु खुद सबकी आस है
समझ इसको।।
तु खुद भारत मां की संतान है
समझ इसको।।
तु खुद जन-गण-मन की तलाश है।
समझ इसको।।
तु खुद यह सब जानता है
समझ इसको।।
तु खुद क्यों बैठा निराश है
समझ इसको।।
तु खुद में खुद है
समझ इसको।।
-अजय