जवान



जवान हो फिर क्या सोचते हो
खून खौलती है तुम्हारी
रोज क्रांति की बातें करते हो
सबको कठघरे में खड़ा करते हो
फिर क्या सोचते हो।।





कभी तो समय से तेज़ भागो
दुसरो को कम बता
कब तक खुद को श्रेष्ठ साबित करोगे
माना की सब गलत कर रहे हैं
तुम सही की शुरुआत कब करोगे।।





कब तक 1.5 जीबी - 2 जीबी से
सपनों को उड़ान दोगे
कभी तो हक़ीक़त में भागो
मुद्दा तो बहुत है
खुद के साथ कब न्याय करोगे।।





दुनियां बदलने की बात करते हो
शुरुआत कहा से होगी पता है
सोच तुम रहे हो, बोल तुम रहे हो
शुरुआत की केंद्र में भी तुम ही हो
जवान हो फिर क्या सोचते हो।।
                           @अजय कुमार सिंह






ajaysingh

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