रण



जीवन रण है
लड़ना ही होगा
इधर-उधर क्या देखते हो
जो भी परिणाम आये
युद्ध भूमि में उतरना ही होगा।।





क्या लेकर आये हो
जो खोने से डरते हो
बाहर बस छलावा हैं
असली दुश्मन अंदर
घात लागये बैठा है।।





पल भर में तुम्हारे
फैसले पलट देता है
तुम जो चाहते हो
असंभव करार देता है
और क्षीण चाहतों को
संभव बना देता है।।





मन, मूड, समय, तबीयत
परिस्तिथि, कल शब्द नहीं
दुश्मन है तुम्हारे
जो तुम पर परोक्ष वार करते है
जैसे है कुछ करने की सोचते हो
अंदर से तुमको रोक
कारण बाहर का बताते है।।





सफलता के मापदंड को बदलना है
तो इनको हराना ही होगा
कल नहीं आज नहीं
अभी के अभी खुद से
लड़ना ही होगा।।
     @अजय कुमार सिंह






ajaysingh

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