परी


सोचता हूं तुम पर
कविता लिख डालू
पर डरता हूं
शब्द कहां से लाऊंगा।।





जो सौंदर्य तुम्हारे
मुख मंडल पर
तेज तुम्हारे व्यक्तित्व का
उसे कहाँ गढ़ पाउंगा।।





साधारण सा हूं मैं
सीमित ज्ञान से
असाधारण रचना
कैसे कर पाउंगा ।।





परी हो तुम
कलाकार नहीं मैं
कैसे तुमको
आकर दे पाउंगा।। @अजय कुमार सिंह






ajaysingh

cool,calm,good listner,a thinker,a analyst,predictor, orator.

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