वर्धा चौराहा



मत पूछ चौराहे का हाल
आलम बस तेरे जैसा है
पागलपन की बेचैनी है
पर शहर को थाम रखा है।।

वक़्त बीता लोग बदले
नहीं बदला चौराहा
कल तक जो एक चेहरा था
लगता है आज शहर छोड़ गया।।

गुमनाम दोस्ती थी अपनी
सुबह-शाम का याराना था
उम्मीदों के घोड़े पर सवार
यार चौराहे से कूच कर गया।

आते-जाते लोग
एक-दूसरे को देखते है
चौराहा से उस अजनबी का
पता पूछते है।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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