सपना

मैं उनको पढ़ रहा था
वह मुझको पढ़ रही थी
एक अध्याय का प्रस्तावना
लिखा जा रहा था।।

विषयवस्तु न मैं तय रहा था
न वो तय कर रही थी
बस हमारी नजरें
एक-दूसरे पर टिकी थी।।

हटाने की जहमत
न मैं उठा रहा था
न वह उठा रही थी
फिर पता नहीं क्या हुआ।।

सुबह नींद से जाग
मैं उनको तलाश रहा था
वो मुझको तलाश रही थी
तलाशते हुए ही सपनों में आई थी।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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