जिंदगी के एक
मुकाम पर लगता था
सबसे ज्यादा नकारा
कोई और नहीं
मैं ही हूं।।
मुकाम पर लगता था
सबसे ज्यादा नकारा
कोई और नहीं
मैं ही हूं।।
सबसे ज्यादा आलसी
कोई और नहीं
मैं ही हूं।।
कोई और नहीं
मैं ही हूं।।
पूरी दुनिया आगे बढ़ जाएगी
सबसे पीछे रहने वाला
कोई और नहीं
मैं ही हूं।।
सबसे पीछे रहने वाला
कोई और नहीं
मैं ही हूं।।
सब कोई सब कुछ
पा सकता है
कुछ नहीं करने वाला
मैं ही हूं।।
पा सकता है
कुछ नहीं करने वाला
मैं ही हूं।।
मेट्रो के खाली सीट
मुझे एहसास कराती है की
अब मैं भी हूं।।
मुझे एहसास कराती है की
अब मैं भी हूं।।
सुबह मैं भी उठ सकता हूं
मैं भी भाग सकता हूं
समय के साथ अब
मैं भी हूं।।
मैं भी भाग सकता हूं
समय के साथ अब
मैं भी हूं।।
बहुत कुछ ना भी करूं तो
कुछ ना कुछ तो जरूर
मैं भी कर सकता हूं।।
@अजय कुमार सिंह
कुछ ना कुछ तो जरूर
मैं भी कर सकता हूं।।
@अजय कुमार सिंह