यकीन



कभी फेसबुक फ्रेंड लिस्ट में
कभी व्हाट्सअप ग्रुप में
कभी ऑनलाइन दोस्तों की लिस्ट में
हर जगह ढूंढा तुझे ।।









गली चौक-चौराहा
हर मंजर हर लम्हा
ढूंढा तुझे सपना-दर-सपन
हर किस्सा हर कल्पना।।





कहाँ हो तुम
सोचता हुआ
कहाँ-कहाँ नहीं ढूंढा
तलाश है जो खत्म नहीं होती।।





हर तलाश का अंत
अगले तलाश की शुरुआत
वाह अद्भुत आनंद है
तुझ से मिल भी रहा हूं
और तुझे खोज भी रहा हूं।।





खोजता हूं मिलने के लिए
और मिलता हूं खोने के लिए
यही तो सचाई है
यकीन न हो तो मिल कर देखों।।
        @अजय कुमार सिंह






ajaysingh

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