जिंदगी


जिंदगी तेरी
अनिश्चितता से भरी है
तू दायें जाना चाहता है
जिंदगी तुझे बायें ले जाती है।।
तू रुक कर
सांस लेना चाहता है
जिंदगी तुझे भगाती है।।
तू सौंदर्य रस-काम रस के
मजे लेना चाहता है
जिंदगी तुझे योगपथ दिखाती है।।
तू रुक कर नज़रों और नज़ारों
में खोना चाहता है
जिंदगी तुझे कड़वा सच बताती है।।
जिंदगी से तेरी सुलह
नहीं हो सकती
सुलह की सारी कोशिशें
बेईमानी है।।
जिंदगी का मकसद
खोजते-खोजते
जिंदगी ही मकसद बन बैठी।।
कमजोरियों से लड़ते-लड़ते
मजबूती ही कमजोरी बन बैठी
दिल्ली की तलाश में जो निकले
खुद ही दिल्ली बन बैठे।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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