इश्क़


इश्क़ वो आग है
जो भीड़ में भी
तन्हाई का मजा देता है
बिना बात अकेले में
मुस्कुराने की वजह देता है।।
यह एक अहसास है
जो सरहदें तोड़ देता है
शब्द ख़ामोश रहती है
नज़रों से बात होता है।।
द्वैत की सीमा पार कर
एकात्म ही इश्क है
शरीर तो बस साध्य है
भावनाओं का संगम ही इश्क़ है।।
जिसने इश्क़ न किया
वह अज्ञानता में ही जिया
सच तो यह है कि
ज्ञान की शुरुआत ही इश्क़ है।।
@ अजय कुमार सिंह

ajaysingh

cool,calm,good listner,a thinker,a analyst,predictor, orator.

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने