कौन हो तुम

मैं कौन हूं
जो टकराता हूं तुझसे
तुम कौन हो 
जो बचती हो मुझसे।।
मैं और तुम मैं
कैसा यह फासला है
तुम मेरे पास हो
महसूस करता हूं तुम्हें।।
अपनी सासों की तरह
समाई हो मुझमें
तुम तैरने की बात करती हो
जब की मैं डूबता जाता हूं तुझमें।।
डूबने के बाद तुझसे
मिल पाता हूं
बाद इसके होश कहाँ
रहता है मुझमें
तेरे स्वेत रंगों में नहाने
का भ्रम पाला है मैंने
- अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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