लगता है कि जैसे
कुछ चीजें जिंदगी में
ठहर सी गई हैं।।
न संचार होता है
न ही संप्रेषण
प्रतिपुष्टि का भी पता नहीं।।
संदेश हम भेजते रहे
उनकी खामोसी की
वजह पता नहीं।।
चाहत की राहों में
विरानिया ठीक नहीं
चाहनेवालों से दूरी अच्छी नहीं।।
बातचीत के अभाव में
फासले बढ़ जाती हैं और
दूरियां जीत जाती हैं।।
@अजय कुमार सिंह