थोड़ा ठहर
सांस लेने दे
बहुत भागा हूं
रुक कर अहसास
लेने दे।।
फलक के आगे फैले
फिजाओं सुनो
बहुत चाहता हूं
थोड़ा सा रुक कर
चाहत का मजा लेने दे।।
तेरी तलाश में
वर्षों तक भटका हूं
अपनी आगोश में
एक गहरी नींद
ले लेने दे।।
कल मुझे नहीं पता
क्या होता है
आज जिंदा हूं
इस बात की तसल्ली
कर लेने दे।।
@अजय कुमार सिंह