दिल्ली


शहर लगता कुछ नया सा
कुछ तो बदला है जनाब
यह चौराहे यह गलियां
पूछ रही है मुझसे 
पहले भी गुजरे हैं
आप शायद इधर से ।।
यह दिल्ली है
रोज कुछ ना कुछ होता है
सपनों की उड़ान तय कर 
रोज यहां लोग आते हैं
कुछ ठहरते हैं
कुछ वापस लौट जाते हैं।।
जो यहां रुकते हैं वह
यहीं के होकर रह जाते हैं
दिल्ली जो जीतने आया
हार कर यहीं का होकर रह गया ।।
यकीन न हो तो इतिहास
मुगलों और तुगलकों का
उलट कर देख लो ।।
शहरों में शहर
महानगर है दिल्ली
विराट भारत की राजधानी
गर्व से कहो कि
तुम भी हो दिल्ली
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

cool,calm,good listner,a thinker,a analyst,predictor, orator.

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने