या देवी सर्वभूतेषु....


कभी रंगों में
कभी छंदों में
कभी भावों में 
कभी अभाव में
कहां-कहां नहीं
तुम्हें खोजा।।
बचपन की यादों में
कोलकाता की गलियों में
पटना के पंडालों में
सब जगह भटका
तेरा दीदार हुआ
साक्षात्कार नहीं हुआ।।
तब समझा
खोजने से तुम
नहीं मिलती
जब थक गया
हार गया।।
विचारों से
भावनाओं से
उदाहरणों से
कहानियों से।।
मुझे उर्जा दी
जीवन का
मकसद बताया
खुद से अनजान था
खुद से मिलवाया।।
तेरा आशीर्वाद रहे
यही कामना है
तेरा ममत्व सबको मिले
यही साधना है।।
@ अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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