कल्पना हूं
यथार्थ नहीं
व्यर्थ में
हंसे जा रहे हो
पल भर हूं
अगले ही पल
चला जाऊंगा
बेकार में
आडंबर रचे
जा रहे हो।।
यथार्थ नहीं
व्यर्थ में
हंसे जा रहे हो
पल भर हूं
अगले ही पल
चला जाऊंगा
बेकार में
आडंबर रचे
जा रहे हो।।
उठ जाओ
आँखें खोला
सच से आंखें
तो मिलाओ
वर्षों से नींद में
जिंदगी जिए
जा रहे हो।।
आँखें खोला
सच से आंखें
तो मिलाओ
वर्षों से नींद में
जिंदगी जिए
जा रहे हो।।
अपनी कहानी
खुद लिखों
कब से
तुमको देख
रहा हूं
दूसरों की
वीरगाथा रटे
जा रहे हो।।
खुद लिखों
कब से
तुमको देख
रहा हूं
दूसरों की
वीरगाथा रटे
जा रहे हो।।
थोड़ा सही
अपना करो
ज्यादा करो
कम बोलो
काहे को
शब्द यूं ही
तुम खर्च
किये
जा रहे हो।।
@अजय कुमार सिंह
अपना करो
ज्यादा करो
कम बोलो
काहे को
शब्द यूं ही
तुम खर्च
किये
जा रहे हो।।
@अजय कुमार सिंह