तेरी तलाश में
दर-ब-दर हूं
एक एहसास की खातिर
बेघर हूं।।
खुद से रूठा
अपनों से अनजान हूं
तेरा दीदार हो
यही तमन्ना है।।
जो रहस्य है मेरे वजूद का
मुझको पता तो चले
तेरी शख्सियत का मुझे
हौसला तो मिले।।
कब तक भटकता रहूंगा
कुछ नहीं तो यही बता दो
स्थायित्व का कोई
पता तो मिले।।
थका हुआ तो बहुत हूं
रुक कर कहां सांस लूं
काश कि कोई
जंजीरा सफर में मिले।।
दर-ब-दर हूं
एक एहसास की खातिर
बेघर हूं।।
खुद से रूठा
अपनों से अनजान हूं
तेरा दीदार हो
यही तमन्ना है।।
जो रहस्य है मेरे वजूद का
मुझको पता तो चले
तेरी शख्सियत का मुझे
हौसला तो मिले।।
कब तक भटकता रहूंगा
कुछ नहीं तो यही बता दो
स्थायित्व का कोई
पता तो मिले।।
थका हुआ तो बहुत हूं
रुक कर कहां सांस लूं
काश कि कोई
जंजीरा सफर में मिले।।
@अजय कुमार सिंह
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रहस्य