आसान नहीं है कि मैं
थक जाऊँगा
अखंड ऊर्जा हूँ मैं
अकेले ही सारे ग्रह
नक्षत्र से टकराऊँगा।।
घनघोर बारिश होगी
बादल गरजेंगे
इस अदृश्य युद्ध को देखने
सहस्त्र पिंड तरसेंगे।।
एक ही सत्य
जीवन का मेरा
बस लड़ाना ही सीखा
मंज़िल जब तक न मिले
चलना सिखा।।
ज़ख्म जो शरीर पर
छाले मेरे पैरों में
यही तो योद्धा के निशान है
मौत को भी मारा मैं
अमरत्व का मुझे वरदान है।।
दुख और सुख
सारथी है मेरे
सूर्य और चंद्र पताका
चक्रधर मैं स्वयं हूँ
जीवन है गाथा।।
हार और जीत क्या
नहीं जानता हूँ मैं
पता है तो बस लड़ना
पीछे नहीं हटता हूँ मैं
जब हो लड़ना।।
आने वाले कल में
आज विलीन हो जाएगा
योद्धा रहे ना रहे
युद्ध की दास्तान में
हमेशा अमर रहेगा।।
@अजय कुमार सिंह
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