रात आधी है
मैं भी आधा हूं
आजा मुझे
पूरा करने आ।।
दरवाजा खुला है
बस तुम्हारे लिए
चुपके से मुझे
लूटने को ही आ।।
लूट ले मेरी यादें
मेरी जज़्बात
मेरी वजूद को भी
लूट जा।।
भला होगा तुम्हारा
दुआ देंगे तुम्हें मेरे जख़्म
मरहम के नाम पर
नमक ही लगा जा।।
बहुत बरसात है
तेज़ बारिश है
रात का अंधेरा है
एक चिराग जलाते जा।।
@अजय कुमार सिंह