हवा में फैली है
नई कहानी की पटकथा
पात्र पुराने हैं
नई है कथा।।
ऊंट किस करवट बैठेगा
वक्त से पहले किसे पता
हवा में बिखरे हैं तथ्य
हो योग तो
जोड़-तोड़ कर के
कर लो पता।।
शहर पुराना है
बस लोग नये है
कुछ अधूरी दास्तां है
क्या पता मिल जाए
उसका भी पता।।
मुसाफिर हैं
रुकना नहीं सीखा
वक्त के साथ निकल लेते हैं
तेरा शहर है अगला
मेरा पता।।
@अजय कुमार सिंह।
Tags
जीवन
वाह, बहुत सुंदर।
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