यादें इस क़दर मुझे आती है
सब कुछ तो ठीक है बस नींद नहीं आती है ।।
तारों को देखता रहता हूँ
तनहाई को महसूस करता हूँ
सपनों को हक़ीक़त में
बदलने की कोशिश करता हूँ
इसी उठापटक में
रात बीत जाती है।।
सब चलता है
बस नींद नहीं आती है।।
सोचता हूँ बिखरी यादों के
आग़ोष में सो जाऊँ
समुद्र की गहराई में कहीं छिप जाऊँ
चाहत है बस
सच तो ये है
कोशिश करता हूँ
पर नींद नहीं आती है।
@ अजय
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रहस्य