चुनाव






लोकतंत्र है भाई
राज्य है साम्राज्य नहीं
जनता ही जनार्दन
नेता पेले पड़े है भाषण।।





न मुद्दा का पता
न चौहदी का ज्ञान
पर दावा है
हल कर देंगे समस्या तमाम।।





जनता टुकुर टुकुर ताकती है
सब में गांधी, लोहिया, अम्बेडकर
को तलाशती है।।





नेता जी भी सब समझते है
खुद को सबके प्रतिनिधि
होने का दंभ भरते है।।





जनता भी समझती है
वोट देने से पहले
जाती, धर्म, संप्रदाय
सब देखती है।।





देश का हो रहा बंटा धार है
मलया, नीरव, चौकसी
सीमा पार है
वही से चला रहा व्यपार है।। @अजय कुमार सिंह


ajaysingh

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