हम आग थे
दरिया से टकरा
तूफां में बदल गए।।
जिधर मुड़े
धुंए और धूल
का ग़ुबार उठ गया।।
हम चाहे न चाहे
देखते-देखते
जमाना बदल गया।।
मुक़दर की राह छोड़
पुरुषार्थ के रास्ते
हम भी आगे बढ़ गए।।
साथ ही अपना
इतिहास समय के साथ
बदल चले।।
@अजय कुमार सिंह