शहर नया
लोग नए
नया तजुर्बा है।।
@अजय कुमार सिंह
लोग नए
नया तजुर्बा है।।
यहां आकर लगता है
खुद से दोस्ती हो गई है ।।
खुद से दोस्ती हो गई है ।।
अकेले हंसना
अकेले घूमना
सीखा मैंने ।।
अकेले घूमना
सीखा मैंने ।।
चुपचाप खड़े हो
सफर के बीच
झपकी लेना
सीखा मैंने ।।
सफर के बीच
झपकी लेना
सीखा मैंने ।।
कब सोया
कब उठा
पता नहीं चलता हैं।।
कब उठा
पता नहीं चलता हैं।।
जब सोचता हूं कि
क्या सोचता हूं
खुद को सफर में ही पाता हूं ।।
क्या सोचता हूं
खुद को सफर में ही पाता हूं ।।
@अजय कुमार सिंह