दिल्ली-2

शहर नया
लोग नए
नया तजुर्बा है।।

यहां आकर लगता है
खुद से दोस्ती हो गई है ।।

अकेले हंसना
अकेले घूमना
सीखा मैंने ।।

चुपचाप खड़े हो
सफर के बीच
झपकी लेना
सीखा मैंने ।।

कब सोया
कब उठा
पता नहीं चलता हैं।।

जब सोचता हूं कि
क्या सोचता हूं
खुद को सफर में ही पाता हूं ।।


@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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