बहुत दिन बिता
तुमको गले लगाए
थपकी दे कर तुमको
गोद में सुलाए ।।
तुमको गले लगाए
थपकी दे कर तुमको
गोद में सुलाए ।।
इस शहर से उस शहर
केवल दौड़ रहा हूं
तुमसे मिलने को
दिन और घंटे गिन रहा हूं।।
केवल दौड़ रहा हूं
तुमसे मिलने को
दिन और घंटे गिन रहा हूं।।
भीड़ में भी रहता हूं
पड़ा अकेला में
तुम्हारी याद जब आती है
दो-चार आंसू रो लेता हूं।।
पड़ा अकेला में
तुम्हारी याद जब आती है
दो-चार आंसू रो लेता हूं।।
फोन और यादों से
मन नहीं भरता अब
तलब है बस तुमको
गोद में उठाने का ।।
@अजय कुमार सिंह
मन नहीं भरता अब
तलब है बस तुमको
गोद में उठाने का ।।
@अजय कुमार सिंह