रचता हूं
रचनाकार हूं
आसपास फैली हुई
विस्तार को देखता हूं।।
@ अजय कुमार सिंह
रचनाकार हूं
आसपास फैली हुई
विस्तार को देखता हूं।।
चेहरों के भावों को
पढ़ने की कोशिश करता हूं
बिखरी हुई कहानियों की
कड़ियां जोड़ता हूं ।।
पढ़ने की कोशिश करता हूं
बिखरी हुई कहानियों की
कड़ियां जोड़ता हूं ।।
यादों से उदाहरणों
को गढ़ता हूं
कम बोलता हूं
ज्यादा लिखने की
कोशिश करता हूं।।
को गढ़ता हूं
कम बोलता हूं
ज्यादा लिखने की
कोशिश करता हूं।।
जिंदगी सफर है
उम्मीद के सहारे
वर्तमान के चुनौती
को आसान करता हूं।।
उम्मीद के सहारे
वर्तमान के चुनौती
को आसान करता हूं।।
@ अजय कुमार सिंह