तेरी चाहत की
आग जो लगी
हम तो आवारा
हो बैठे।।
पहले से क्या
कम बदनाम थे
जो अब नया मुकदमा
अपने नाम करा बैठे।।
अब कोर्ट भी तू
जज भी तू
हुज़ूर आपके
प्यार में गिरफ्तार
हम फरयादी बन बैठे।।
अब सजा दो
या बक्श दो
पर फैसले से
न बेदखल करो।।
फैसला कुछ हो
पर खामोशी मंजूर नहीं
इंकार ही सही
अनिश्चिता कबूल नहीं।।
@अजय कुमार सिंह