मणिकर्णिका






आधी रात मणिकर्णिका घाट पर
चिलम के नशे में धुत योगी
अपने इष्ट देव से संवाद करता है
पूछता है उनसे हे देव सामने चिता से
धधकती ज्वाला का सत्य क्या है।।





उधर से जवाब आता है
क्या करोगे जानकर
अगर बता दूंगा तो सारा नशा उतर जाएगा
जिंदगी के बाद और
जिंदगी के पहले की कड़ी है यह चिता।।





अतृप्त इच्छा, अधूरे सपने, व्यर्थ प्रलाप
कामवासना, धन पीपासा का अंत यह चिता
सत्ता साम्राज्य और बाहुबल देखो कैसे जल रहा है
गौर से देखो वत्स जो था कल सिकंदर
आज उसका इतिहास, भूगोल, कारनामे
कैसे धधकती ज्वाला में पिघल रहा है।।





भक्त ज्ञान से ओतप्रोत चिलम के दो कश
और मारता है और फिर इष्ट देव से पूछता है
तो क्या कल मेरा भी यही हाल होगा
जवाब में जोर का ठहाका आता है
फिर लंबी मौन के बाद जवाब आता है
सामने जिसकी चिता है
उसके मन में भी यही प्रश्न था।।





भक्त भी कहां कम था
चिलम का कश और खींचता है
अपने इष्ट देव से पूछता है
हे महाकाल महादेव
फिर अमरत्व का क्या राज है
इष्ट देव का जवाब आता है
जिस दिन अमरत्व की
विचार और भावना एक हो जाएगी
उसी दिन तुम्हें अमरत्व का ज्ञान हो जाएगा।।
                   @अजय कुमार सिंह






ajaysingh

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