मुनिरका की गलियां
तुम्हारी अदाओं के बीच
एक समानता है
दोनों घुमावदार हैं।।
जो अच्छी तो लगती हैं
पर समझ नहीं आती
समझने के चक्कर में
अक्सर भटक जाता हूं।।
गलियों में भटक कर
फिर भी घर पहुंचता हूं
तेरी अदाओं में जब भटका
घर-बार से बेघर हो जाता हूं मैं।।
तेरी अदाओं और
मुनिरका की गलियों का रहस्य
तो कोई ऋषि ही जाने की कैसे
संभव है की कॉलेज के लिए निकलता हूं
और पार्क पहुँच जाता हूं मैं।।
@अजय कुमार सिंह