हे बैठकबाज मन सुधर
दिनभर सुबह से सोया है
उठ जा, जा बाहर
कुछ हलचल कर।।
माना कि आज रविवार है
मतलब दिनभर सोएगा
चल बहुत हुआ
कुछ चहल कदमी कर।।
उठ जा डियर
कितना प्यार से समझाऊं
ठंडा का बहाना बना
कब तक बिस्तर पर सितम ढाएगा।।
देख मन देख
जमाना सोकर
सुबह ही उठ गया
तू कब उठेगा।।
बाहर से आवाजें आ रही है
बच्चों की किलकारियां
चिड़ियों के बोल
बाहर निकल सब के दर्शन कर
मीठे-मीठे बोल रे मनवा
मीठे-मीठे बोल।।