हम-तुम



नियम से बंधे तुम
नियम से बंधे हम
वाह क्या अद्भुत नजारा है
एक दूसरे के सामने खड़े हैं
पता नहीं वक्त का क्या इशारा है।।









बहुत खूबसूरत हो तुम
बदसूरत नहीं है हम
मौका भी है दस्तूर भी है
थोड़ा पास आओ तुम
थोड़ा पास आए हम।।

राह की जो सफर है
ऐसे ही बातचीत में कट जाएगी
कुछ बातें बोलो तुम
कुछ किस्से सुनाए हम।।





अगर जो बोलने का
मन ना करें तो
चुपचाप खड़ी रहो तुम
चुपचाप तुमको देखे हम।।





नजरें नीचे करके शर्मओ तुम
तुमको शर्माता देख
मन ही मन मुस्काए हम।।
         @अजय कुमार सिंह






ajaysingh

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