रात का नशा
उतरा भी न था
की दिन कि उजालों
ने जगा दिया।।
उतरा भी न था
की दिन कि उजालों
ने जगा दिया।।
अभी चलना भी
न सीखा था
ठीक से की
वक़्त ने दौड़ा दिया।।
न सीखा था
ठीक से की
वक़्त ने दौड़ा दिया।।
इस से पहले की
तेरा दीदार होता
बेचैन हो कर
होश मैंने गवा दिया।।
तेरा दीदार होता
बेचैन हो कर
होश मैंने गवा दिया।।
मदहोश हो भटकता रहा
पूरी रात तेरी तलाश में
मिलने की आरजू दिल में लिये
तेरा पता पूछता रहा।।
पूरी रात तेरी तलाश में
मिलने की आरजू दिल में लिये
तेरा पता पूछता रहा।।
उजाले अपनी यादों की
हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में
जिंदगी की शाम हो जाये।।
हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में
जिंदगी की शाम हो जाये।।
-अजय कुमार सिंह
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सफर