दास्‍तान-ए- दिल

ना दुआ, ना सलाम
ना शाम-ए-अवध की नज़ाकत
ना सुबह-ए-बनारस की हयात
ना ही तहज़ीब लखनवी
ना ही रवाब कोलकाता का
ना ही ठसक धनबादी
बेफ़िक्रमंद आप अच्छे हैं
जान हमें भी सुकू आता है
आप का आना और यूं जाना
थोड़ा सताता है पर अच्छा है।।
- अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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