मुख्यपृष्ठदर्द दास्तान-ए- दिल byajaysingh -जनवरी 03, 2020 0 ना दुआ, ना सलामना शाम-ए-अवध की नज़ाकतना सुबह-ए-बनारस की हयातना ही तहज़ीब लखनवीना ही रवाब कोलकाता काना ही ठसक धनबादीबेफ़िक्रमंद आप अच्छे हैंजान हमें भी सुकू आता हैआप का आना और यूं जानाथोड़ा सताता है पर अच्छा है।। - अजय कुमार सिंह Tags दर्द Facebook Twitter