नौ बजकर संतावन मिनट

ग़म में तेरे
क्या न किया
कभी खाया रसगुल्ला 
कभी चाय पिया।।
पांच किलोमीटर दौड़ा
कई किताबें पढ़ डाली।।
गंदे कपड़ें और घर को
साफ कर डाला।।
कई चहेरों मैं तुझको
खोज डाला।।
कई गाने सुनें
खुद को नचा डाला।।
खूब सोया, खूब हँसा
जीवन के हंसी सपने
देख डाला।।
ग़म मैं तेरे
क्या न किया।।
- अजय कुमार सिंह

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