काश की मैं
ना मिला होता तुझसे
काश की तू
ना मिली होती मुझसे।।
ना मिला होता तुझसे
काश की तू
ना मिली होती मुझसे।।
अपनी आवारगी मे ही
खुश था मैं
अपनी तन्हाई मे ही
व्यस्त था मैं।।
खुश था मैं
अपनी तन्हाई मे ही
व्यस्त था मैं।।
चाय की चौराहे
अच्छी थी
गलियों की अटखेलियां
सुहाती थी।।
अच्छी थी
गलियों की अटखेलियां
सुहाती थी।।
तेरे आने के बाद
सब बदल गया
ये गलिया वो चौराहें और
मैं।।
सब बदल गया
ये गलिया वो चौराहें और
मैं।।
कोलकता मे
ढूंढ़ता फिरता हूँ
खुद से
बातें करता हूँ ।।
ढूंढ़ता फिरता हूँ
खुद से
बातें करता हूँ ।।
तेरे विस्तार मे
खुद को खोजता हूं
खुद को पा कर
यही सोचता हूं ।।
खुद को खोजता हूं
खुद को पा कर
यही सोचता हूं ।।
काश की मैं
ना मिला होता
ना मिला होता
तुझसे।।
-अजय कुमार सिंह
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जीवन