गीतांजली एक्सप्रेस

चाहता हूं यार तुमको
पटरियों पर फैला है प्यार अपना
लाल सिग्नल में प्यार
ग्रीन सिग्नल में तक़रार अपना।।
हर डिस्प्ले पर लिखा तेरा नाम है
तेरी ही नाम की हो रही उद्घोषणा है
सारे टिकट पर तेरा पता दर्ज है
क्या अभी भी तुमको कुछ सोचना है।।
ट्रैन की तरह है प्यार अपना
कभी मेल, कभी एक्सप्रेस,
कभी पैसेंजर बन जाता है
कभी दौड़ता है तो कभी
आउटर पर रुक जाता है।।
एक तुम हो जो हमेशा
मेरा चैन पुल्लिंग करती हो
जुर्माना मैं भरता हूं
मुस्कुरा कर तुम चल देती हो।।
मैं भी कहाँ मानने वाला
छोड़ कर तुमको आगे बढ़ने वाला
जानना चाहती हो तो जानो
पटरियों के बीच फैले हर गिट्टी पर
लिख दिया है नाम तेरा।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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