मालगाड़ी


माल गाड़ी सी जिंदगी अपनी
खाली-पीली दौड़े जाती है
न सवारी का पता
न कोई ठिकाना
बस बढ़ते जाता है।।
कितने गुफा आये
कितने सुरंग गुज़रे
पार कर कई पुल
पर अभी तक कोई
स्टेशन नहीं आया।।
सोचता हूं एक दिन
मेरा भी वक़्त आएगा
कोई मुसाफ़िर मुझ
पर चढ़, मुझे भी
व्यवहारिक बनाएगा।।
इस जीवन का औचित्य
मुझे समझायेगा
झूठ का आडंबर तोड़
सत्य के करीब लाएगा।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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