कुछ तो बात है तुममें
जो अक्सर भटक कर
पहुंच जाता हूं मैं।।
कुछ तो बात है तुममें
जो खुद को नहीं
रोक पता हूं मैं।।
एक बात है तुममें
जो मुझसे जुदा है
तुम्हारी तरह
पत्थर नहीं हूं मैं।।
मिलूंगा किसी दिन
किसी चौराहें पर तुमसे
कितना तुमको याद किया
यह बताऊंगा मैं।।
@अजय कुमार सिंह