रेल

तुम इस तरह चल कर
पटरी पर आती हो
मैं बेपटरी सा 
हुआ जाता हूं।।
तुझसे मिलने की चाहत में
बिना सोये सारी रात
सुबह दौड़
स्टेशन पहुंच जाता हूं।।
कभी डिस्प्ले, कभी एप्प
कभी घड़ी तो कभी अनाउंसमेंट से
तुम्हारी थाह लगता हूं
आता तुम्हें देख मन ही मन मुस्काता हूं।।
-अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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