मुख्यपृष्ठदर्द कविता byajaysingh -जनवरी 02, 2020 0 एक तुम हो जो मुझेमेरे बीते हुए समय केबोझ से काटते हो ।। खुद से अलग करते होचेतन से अवचेतन कीदुनिया में ले जाते हो।। चिंताओं से मुक्तीस्थिरता का बोधमुझको कराते हो।। तुम कविता होप्रकट हो निवृत्तिका अहसास कराते हो।।@अजय कुमार सिंह Tags दर्द लक्ष्य Facebook Twitter