लम्हा


सुबह से शाम
शाम से सुबह
एक तू है और
तेरा ऐतराम है।।
पास नहीं तो
क्या हुआ
हँसने और
गमज़दा होने
की ख़ातिर
यादें तेरी
तमाम है।।
मुश्किलों से कटता
है वक़्त मेरा
सच है की
लम्हा-लम्हा पर
लिखा तेरा नाम है ।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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