महानगरों में लोग
तुरंत सब कुछ
पाना चाहते हैं
तुरंत में सब कुछ
होना चाहते हैं।।
ऐसा भी कहीं होता है
यह प्यास ही
दुख का कारण है
यह जल्दी बाजी ही
अवसाद की वजह है।।
तुरंत में हंसना
तुरंत में रोना
इसी के लाक्षणिक गुण हैं।।
जो ठीक से
दुख नहीं देखा
उसे सुख की
परख क्या होगी।।
जिसने अभाव
न समझा उसे
भाव की समझ
क्या होगी ।।
हर किसी के जीवन में
राजा हो या प्रजा
दुख- सुख, भाव-अभाव
आते-जाते रहते है।।
कोई नहीं बचा
यह दैहिक अवतार ही
इन भावनाओं से बना है
इनको प्रकट होने से
कोई नहीं रोक सकता है
यही सत्य है।।😊
#अजय कुमार सिंह